मोहन राणा की तीन कवितायें
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मोहन राणा |
मोहन राणा ने उपरोक्त तीन कवितायें विशेष तौर पर raagdelhi.com के लिए भेजी हैं।
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मोहन राणा |
वापसी एक नीरव जगह तुम बेचारे पेड़ को अकेला छोड़ आईं! जमे हुए विस्तार में जो वृद्ध हो चुके ये पहाड़ लंबे शारदीय उत्सव का उपद्रव मचाते है...