सुबह सपनों का अनुवाद करने के लिए होती है
जो अधूरे रह गए थे,
अभी भी घट रहे हैं
पर याद तो नींद में ही आते हैं
© मोहन राणा 2022
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नया संग्रह ' मुखौटे में दो चेहरे 'छापा खाना की तैयारी में।
सुबह सपनों का अनुवाद करने के लिए होती है
जो अधूरे रह गए थे,
अभी भी घट रहे हैं
पर याद तो नींद में ही आते हैं
© मोहन राणा 2022
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नया संग्रह ' मुखौटे में दो चेहरे 'छापा खाना की तैयारी में।
कि याद रहे दिल्ली में अनायास अविस्मरणीय प्रवास। Last week as I was leaving Delhi ; A poetry reading at Sahitya Akadami Delhi. 8th Sept 202...