सुबह सपनों का अनुवाद करने के लिए होती है
जो अधूरे रह गए थे,
अभी भी घट रहे हैं
पर याद तो नींद में ही आते हैं
© मोहन राणा 2022
-------------------------------------------------------------
नया संग्रह ' मुखौटे में दो चेहरे 'छापा खाना की तैयारी में।
सुबह सपनों का अनुवाद करने के लिए होती है
जो अधूरे रह गए थे,
अभी भी घट रहे हैं
पर याद तो नींद में ही आते हैं
© मोहन राणा 2022
-------------------------------------------------------------
नया संग्रह ' मुखौटे में दो चेहरे 'छापा खाना की तैयारी में।
वापसी एक नीरव जगह तुम बेचारे पेड़ को अकेला छोड़ आईं! जमे हुए विस्तार में जो वृद्ध हो चुके ये पहाड़ लंबे शारदीय उत्सव का उपद्रव मचाते है...