मैं लिखने बैठा गश्ती चिठ्ठियाँ
पेड़ के नीचे अनवरत मर्मर में,
पतझर में वे गिरती रहीं
तुम्हें देख मैं ठहर गया
(2024)
मैं लिखने बैठा गश्ती चिठ्ठियाँ
पेड़ के नीचे अनवरत मर्मर में,
पतझर में वे गिरती रहीं
तुम्हें देख मैं ठहर गया
(2024)
कालचक्र, लिपि और टीला काल चक्र भूल भुलैया में घूमता आईने में पहचान लिए ख़ुद ही हो गया लापता वहाँ अपने ...