Tuesday, 27 February 2024

Living in Language

 Poetry Day Event   21st March 2024

This World Poetry Day,  launch of  Living in Language, the Poetry Translation Centre’s groundbreaking anthology of lyric essays, fragments, letters and new poems from 21 poets from around the world.

Living in Language: World Poetry Day with Brian Holton, Yang Lian & Mohan Rana

Event:  https://nationalcentreforwriting.org.uk/events/living-in-language/

 

 

Living in Language: International reflections for the practising poet


 

ISBN: 9781739894856

Publication date: 7 March 2024

Price: £15

Pages: 188pp

Size: 216x138mm


 
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Price

This World Poetry Day, we’re thrilled to launch Living in Language, the Poetry Translation Centre’s groundbreaking anthology of lyric essays, fragments, letters and new poems from 21 poets from around the world.

 

Thursday, 4 January 2024

लिखने एक चिठ्ठी

मैं लिखने बैठा गश्ती चिठ्ठियाँ

पेड़ के नीचे अनवरत मर्मर में,

पतझर में वे गिरती रहीं

तुम्हें देख मैं ठहर गया 

 

(2024)

 


 


Wednesday, 8 November 2023

एकांत में रोशनदान : मोहन राणा Ekaant men Roshandaan : Mohan Rana

 कविता संग्रह / Poetry Collection

                                           एकांत में रोशनदान (2023)

 


                          नयन पब्लिकेशन  -- https://amzn.eu/d/9ddsXkJ

  • प्रकाशक ‏ : ‎ Nayan Publication (7 सितंबर 2023)
  • भाषा ‏ : ‎ हिंदी
  • पेपरबैक ‏ : ‎ 130 पेज
  • ISBN-10 ‏ : ‎ 8195429920
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 978-8195429929

 

"मोहन राणा अनूठे कवि हैं। उनका रहस्य को शब्दों की टपरी के नीचे अर्थ की छाँव में क्षण भर के लिए आमंत्रित कर लेने का हुनर लाजवाब है। उनके अपने शब्दों में ‘कवि जब लिखता ही नहीं बल्कि कविता में जीता है तो रचना कालातीत हो जाती है।’ वे कविता को जीते हुए उसके कालातीत होने की घटना के साक्षी बनते हैं। उनकी कविता साधु की तरह रमण करती है, यायावर कि तरह विचरण करती है, परिदों की तरह उड़ान भरती है और अनचीन्हे, अनुबूझे गन्तव्यों से गुज़रकर सूक्ष्म रहस्य की छाँव में एक परिपूर्ण पथिक की भाँति विश्राम करती है। मोहन राणा की कविताएँ कुलाँचे भरती हैं- शब्द के पार अर्थ की ओर, अर्थ के पार भाव की ओर, भाव के पार बोध की ओर, बोध के पार निविड़ मौन की ओर ; और मौन के पार शून्य की ओर। "
- चैतन्य प्रकाश योगी


समीक्षा / Review
https://www.raagdelhi.com/mohan-rana-ekant-me-roshandaan-review-by-naresh-shandilya/

Tuesday, 24 May 2022

मुखौटे में दो चेहरे (कविता चयन) : मोहन राणा

 चुनी हुई कविताओं का चयन यह संग्रह -

मुखौटे में दो चेहरे 
मोहन राणा
© (2022)

प्रकाशक - नयन पब्लिकेशन

 






Living in Language

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