कविताएँ : POEMS : MOHAN RANA : मोहन राणा
वापसी एक नीरव जगह तुम बेचारे पेड़ को अकेला छोड़ आईं! जमे हुए विस्तार में जो वृद्ध हो चुके ये पहाड़ लंबे शारदीय उत्सव का उपद्रव मचाते है...