वापसी
एक नीरव जगह तुम बेचारे पेड़ को अकेला छोड़ आईं!
जमे हुए विस्तार में जो वृद्ध हो चुके
ये पहाड़
लंबे शारदीय उत्सव का उपद्रव मचाते हैं
अपनी ढलानों पर उसके सपनों में,
दिन रात उन रास्तों पर जहाँ
वसंत के लिए कुछ रास्ता भूल जाते हैं पतझर को समेटते,
कुँहासे को अपनी साँसों में संभाले नींद की करवटों में
10.7.2025
फ़ोटो - लूबो रोज़न्श्टाइन
धन्यवाद - लूसी रोज़न्श्टाइन