कविताएँ : POEMS : MOHAN RANA : मोहन राणा
मैं लिखने बैठा गश्ती चिठ्ठियाँ
पेड़ के नीचे अनवरत मर्मर में,
पतझर में वे गिरती रहीं
तुम्हें देख मैं ठहर गया
(2024)
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